मैं दर्द पिया करता हूँ !
मैं दर्द पिया करता हूँ, मर-मर के जिया करता हूँ,
फिर भी इस दुनिया को, लहू अपना दिया करता हूँ !
सब संगी-साथी छूटे, अपने थे जो वो रूठे,
मन में जो बातें आयें, मैं खुद से किया करता हूँ !
कोई वक्त न ऐसा आये, तुझको न याद दिलाये,
अब तो मैं खुदा के बदले, तेरा नाम लिया करता हूँ !
रुसवा तुझको नहीं करना, चाहे पड़ जाये मुझे मरना,
कोई जान न पाये दिल की, ले होंठ सिया करता हूँ !
मौसम है बदला-बदला, बदली-बदली हैं निगाहें,
पा लूँ मैं निशाँ जहाँ तेरा, वो राह लिया करता हूँ !